सोमवार, 4 अक्तूबर 2010

मर्म का अन्वेषण


राहुल सिंह

चित्रकार, फोटोग्राफर, पत्रकार रमन किरण एक हिन्दी पत्रिका 'जंगल बुक' हर महीने निकाल रहे हैं, एक और त्रैमासिक कला पत्रिका 'नया तूलिका संवाद' निकालने की तैयारी कर चुके हैं।
रमन, कवि हैं उनके दो कविता संग्रह 'मेरी सत्रह कविताएं' और 'सत्रह के बाद' आ चुके हैं और पिछले दिनों उनका तीसरा संग्रह 'मर्म का अन्वेषणः 37 कविताएं'
या।

उनके इस नये संग्रह की कुछ कविताएं-

(14/37)
एक
पत्ता उम्मीद का

इतना
भारी पड़ा

नये
-नये पत्ते आने लगे

(15/37)

हैलोजन की रोशनी
कुछ
तो सोचो
भी सोती है

(20/37)
जंगल हूं मैं।
मेरे
तन पर,
मोर नाचते हैं।

रेंगते
हैं सर्प,
जानवर पलते हैं,

मेरे
अन्दर
तपोभूमि था मैं।
कभी मेरे साये में, जीता था आदमी ।।


(21/37)

तवे
पर,
रोटी सेंकने के लिए,
गर्म
किया
जाता है,
तवे को ही।

(33/37)
धागा
तोड़ोगे

गांठ
बांध लो

जोड़
नहीं सकते


व्ही व्ही रमन किरण, बिलासपुर में मां सतबहिनिया दाई मंदिर के पास, देवरी खुर्द में रहते हैं। उनका मोबाइल नं. +919300327324 और मेल आईडी raman.kiran@yahoo.com है। उनकी कविताएं मुझे पसंद हैं।


साभार - सिंहावलोकन(राहुल सिंह जी का ब्लॉग )

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